मेरा जन्मदिन था, दोस्तों के साथ खूब मस्ती करने के बाद मैं घर को रवाना हुई और बस में बेठ गई और बस के शीशे से सर टेक कर बेठ गई !
काफ़ी थक चुकी थी इसलिए मैंने थोडी देर के लिए आँखे बंद कर ली और ऐसे ही पुरे दिन की बातें सोच रही थी ! फ़िर थोडी देर में बस चलने लगी कुछ देर बाद बस एक बस स्टाप में रुखी और मेरी आँख खुली ॥ वहां से एक भिखारी बस में चडा और उसके हाथ में अक सितार था , फ़िर उसकी तरफ़ देखा मैंने और फ़िर शीशे पर टेक लगा लिया मैंने ... बस में रेडियो बज रहा था और थोडी देर बाद बस वाले ने रेडियो बंद कर दिया और एक बहूत प्यारी सी मधुर सी धुन बंजने लगी मेरी आंखे फ़िर खुली और देखा वोह भिखारी वोह धुन बजा रहा था
वोह इतना मधुर धुन बजा रहा था की बस में बेठा हर व्यक्ति उसकी धुन का आनंद ले रहा था । उसके सितार से निकली हर धुन मेरे पुरे दिन की थकन को दूर कर रही थी। और मनो ऐसा लगा की शायद वोह अपनी धुन में कह रहा हो " देखो मेरी हालत क्या है मेरी दुनिया क्या है और फ़िर भी मुझे किसी बात का दुख नही मेरे पास कला है जो मेरे जीने का जरिए है फ़िर भी लोग मुझे भखारी कहते है ''
वोह भखारी किसी की तरह नही देख रहा था वोह बस अपनी धुन बजा रहा था और मनो वोह अपनी ही धुन मा खोया हो... उसकी इस अनमोल कला को देख कर लग रहा था की उसके सामने मैं कुछ भी नही...
बस में बेठा हर व्यक्ति बिना उसके मांगे ही उसको अपनी मर्ज़ी से रुपये दे रहा था । येया भी नही की एक या दो रुपए बल्कि शायद ही किसी ने उसको पाँच रुपए से कम रुपये दिए हो॥ मनो उसने मेरे बर्थडे गिफ्ट दिया हो थो मैंने भी ख़ुद से ग्यारा रुपए निकाल कर उसको दिए !
फ़िर कुछ देर बाद लोग उससे अपने मन पसंद की धुन बजा रहे थे और वोह उस्सी बेहतरीन कला से सब की फरमाइश कर रहा हो॥ वोह थो सच में मेरी नज़र में अक रॉक स्टार था !
फ़िर मेरा बस स्टाप आया और मैं बस से उतर कर घर को जाने लगी , पर उस व्यक्ति की धुन अभी तक मेरे कानो में गूंज रही थी !
अब लग रहा था की क्यूँ इतनी कला से निपूर्ण होने के बाद भी लोग उसको भिकारी क्यूँ खेहते है क्या कोई नही जो उसको एक मुकाम दे सकता !
कुछ लाइन अर्ज़ कर रही हूँ इस घटना पर ...
जिन्दगी वक्त मांगती है ,
तरक्की को एक नई राह देने क लिए ,
इंसान उसी राह पर लगा देता है लगाम,
दुसरे को रुला, अपनी खुशी पाने के लिए !!
लेखिखा
"दिव्या "
अच्छा लिखा आपने। कोई अमीर या गरीब अपने मन और सोच से ही होता है।
ReplyDeleteवाह!
ReplyDeleteएग्रीगेटरों के द्वारा अपने ब्लॉग को हिंदी ब्लॉग जगत परिवार के बीच लाने पर बधाई।
सार्थक लेखन हमेशा सराहना पाता है।
मेरी शुभकामनाएँ
बी एस पाबला
सुन्दर आलेखन के लिये बधाई.
ReplyDeleteशायद आपको पता ना हो कुमार गंधर्व के पुत्र मुकुल शिवपुत्र जो स्वयं एक अच्छे कलाकार हैं मध्यप्रदेश के कुछ शहरों में शराब के लिये दो-दो रूपये लोगों से मांगते पाये गये थे।
ReplyDeleteऐसा अक्सर होता है कि सच्चे कलाकार की कई बार कद्र नहीं होती और नक्कालों, दूसरों की धुनों को, कला को अपने नाम से प्रस्तुत करने वाले को हम सर आंखों पर उठा लेते हैं। कई उदाहरण आपको मिल जायेंगे।
आपको नये चिट्ठे के लिये हार्दिक बधाई।
॥दस्तक॥|
गीतों की महफिल|
तकनीकी दस्तक
बहुत सुन्दर ।
ReplyDeletePlease remove word verification then it will be easy to comment.
गुलमोहर का फूल
ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा लिखा है।
ReplyDeleteकलाकार तो आज भी दुनिया में बहुत मिल जाएंगे लेकिन उनके पारखी मिलना मुश्किल है....
ReplyDeleteआपको पढ़कर अच्छा लगा दिव्या जी। कथ्या से ज्यादा आपके संवेदनशीलता ने मुझे प्रभावित किया। संवेदनाएं बची रहे यही खुशी की बात है। आपके इस सार्थक लेखन के लिए बधाई। साथ ही आग्रह है कि पोस्ट करने से पहले सम्पादन अवश्य करलें ताकि भाषा संबंधी अशुद्धियों में कुछ तो कमी आ जायेगी। शुभकामना।
ReplyDeletewww.manoramsuman.blogspot.com
Apane blog likha is bat kee badhai
ReplyDeleteआपके लेखन की सूक्ष्मता मन को प्रभावित करने वाली है । आज की दुनिया में धनोंपार्जन ही सामान्यत: लक्ष्य हो गया है । आज के भौतिकतावादी समाज में अगर कोई अपनी कला या अध्यात्म की अतंरयात्रा की साधना लीन रहे अर्थोपाजन को ज्यादा महत्व न दे, कला में डूबा रहे,तो उसे दुनिया भिखारी ही समझती हैं जबकि देखा जाए तो वास्तविक धनी तो अतंरयात्रा में डूबा हुआ पथिक ही है।
ReplyDelete" bahut hi accha laga aapko padhker ...aapko is post ke liye badhi "
ReplyDelete----- eksacchai{ aawaz }
http://eksacchai.blogspot.com
http://hindimasti4u.blogspot.com
Aap sabi logo ka main Dil se shukriya karti hun ki aapne apna kimti waqt nikaal kar mere blog ko pada aur Dil se saraha..
ReplyDeleteAap sab k comments se aaj Dil bahoot kush hua hai..
Shukriya !
bahut shandar.narayan narayan
ReplyDeleteThank you so so much NaradMuni ji and Amit Ji..
ReplyDelete