कुछ दिनों पहले की बात है युहीं रास्ते से गुज़रते हुए मैंने अक बछडे को देखा जो अपनी माँ की गोद में बेठा हुआ था और उसकी माँ उसको प्यार से सहला रही थी ॥
जैसे जैसे मैं उनके करीब गई देखा वोह मासूम बछडा पुरी तरह खून से लतपत था और उसकी माँ उसको पुचकार रही थी॥ उसकी ये दशा देख कर ऐसा व्यतीत हो रहा था मनो कोई गाड़ी वाला उसको मार कर गया हो... उस व्यक्ति को इस मासूम पर दया भी नही आई होगी ॥
शायद आज की दुनिया में इंसान, इंसान की परवाह नही करता उस दुनिया इंसानों से बेजुबान जानवर के लिए दया की उम्मीद करना शायद ख़ुद की नासमाजी होगी।
उस मासूम बछडे का दर्द मनो मेरे मन में उस व्यक्ति क प्रति करोड़ उत्पन कर रहा था और वहीँ दूसरी और उस बछडे का दर्द और उसके माँ की पीड़ा मेरे मन को कम्जूर कर रही थी... बछडे की माँ अपने बच्चे को गोद में लिए उसकी आंखिर साँसे गिन रही थी और अपनी ममता भरी आँखों से अपने बच्चे के दर्द को महसूस कर उसके दर्द को कम करने की नाकाम कोशिश कर रही थी और मनो उसका मासूम बछडा अपनी माँ से बिछड़ने के गम को मन में दबाए अपनी माँ को सान्तवना दे रहा हो॥
ये ख्याल एक का एक मन में उत्पन होने हो रहे थे॥ समाज नही आ रहा था की क्या करूँ या क्या ना करूँ॥ फिर मैंने टेलीफोन डायरेक्टरी में डायल किया और उनसे एनीमल केयर वालो का नम्बर लिया और उनको फ़ोन करके बुलाया ॥ उनको आते आते लगभग आदा घंटा हो गया था और ऐसे में उस बछडे की हालत और कराब हो रही थी॥ गाये ने अपने बच्चे को और कस कर पकड़ रखा था मनो अभी वोह रो पड़ेगी ॥ उसकी आँखों से ऐसा साफ़ व्यतीत हो रहा था ॥
लगभग आदे घंटे बाद एनीमल केयर वाले आए और उस मासूम बछडे को उठा कर ले जाने लगे और उसकी माँ उनको ले जाने से रोकने की कोशिश करने लगी इस दोहरान २-३ बार उस एनीमल केयर वाले व्यक्ति को भी हाथ मा करोचे आ गई... ॥
पर उस का माँ की पीड़ा भी कम नही थी॥ ऐसे वक्त में अक माँ का साथ जरुरी होता है पर मैं उसकी ( बछडे ) की जान बचने की कोशिश में उसको उसकी माँ से दूर कर रही थी॥ शायद अभी उसकी जान बचाना जायदा जरुरी था॥
वोह उस बछडे को उठा कर ले गए और उकसी माँ उस गाड़ी की और की ताकती रही ....
उस माँ को तनहा छोड़ मैं भी घर की और निकल पड़ी ॥ मन में अक अजीब सा एह्साह लिए की क्या फ़िर वोह माँ बछडा मिल पायेगे॥ पर शायद जब मिलेंगे तो उसकी माँ के मन में होने वाली खुशी अनमोल होगी.....
लेखिखा
"दिव्या"
एनिमल केयर वालों से पता करें कि क्या वो बछड़ा ठीक हो गया था, यदि हां तो उन्होंने उसे बाद में कहां छोड़ा। हो सकता है वो गाय और बछड़ा आपको दोबारा नजर आ जाएं::।
ReplyDeleteमार्मिक घटना है।आप ने सही कदम उठाया।
ReplyDeleteआपके जैसी मानवता की सबको जरुरत है
ReplyDeletebahooooooooot hi achchha laga. khushi hui ek nekdil insaan se milke.
ReplyDeleteबहुत सुंदर, शारदा जी की बात मै दम है, आप को पता करना चाहिये.
ReplyDeleteधन्यवाद
अच्छा लगा जानकर. पता करिये.
ReplyDeletebahut hi marmik ghatna, main bhi janwaron ki peedha ko apne man mai mehsus karti hun.
ReplyDeletedhanyabad krpya yah jajba banaye rakhen
ReplyDeleteहमारी संवेंदंशीलता का बेलेंस गड़बड़ा गया है, आप बहुत भावुक हैं और कुछ ठीक विपरीत, बस दिव्या इसी निगाह से दुनिया को देखते और मदद करते रहना है. लेखन बढ़िया है.
ReplyDeleteBahoot Bahoot shukriyaa aap sabi ka jo aap sab ne aapna kimti waqt nikaala aur mujhe saraha...
ReplyDeleteNote:- Maine pata kiya tha uss hospital mea unhone uss bachde ka illaj kar usko wahin par chod diya hai jahan se usko uttaya tha ..