Friday, November 18, 2011

तुम मुस्कराओ , दुनिया तुमरे संग मुस्कराएगी !

 


  ज़िन्दगी में कई बार ऐसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जो हमने कही सोचा भी नहीं होता.. कई बार मंजिल एक ऐसी राह में ले जाती है जहाँ शायद हमने कभी जाने की सोची भी नहीं थी...

  पर क्या ऐसे रास्तो से हमें वापस आ जाना चाहिए ? या फिर उन मुस्किलो से लड़ना चाहिए ?

  हम लोग ज़्यादातर ऐसे वक़्त  में अपने दिल से काम लेते है ! दिमाग की जगह , कभी कभी ऐसा करना सही भी होता है पर कभी कभी दिल आपको इतना कमज़ोर बना देता है की हर पर आपको अपना फैसला गलत लगता है! क्यूंकि ऐसे मोड़ पे आप सिर्फ अपने नहीं दुसरो के बारे में भी सोचने लगते है , कहीं उसे बुरा लगा , कभी उने तकलीफ हुई थो ?, कहीं कुछ गलत न हो जाए, मैं वापस लौट जाऊं ...क्या मैं जो कर रहा / या कर रही हूँ  वोह सही है भी की नहीं...


   ऐसा दौर ज़िन्दगी में सबके पास आता है है , क्यूंकि येया दुनिया एक रंगमंच है , जहाँ एक अकेले इंसान की हर तरह के किरदार निबाने पड़ते है ! कभी कभी एक ही किरदार की इतनी आदत हो जाती है, की लगता है की कोई और किरदार न मिले !

  जैसे की ख़ुशी , लोगो को खुशियों की आदत हो जाती है , फिर लगता है दुःख कभी न आये , और जब दुःख आता है तब वोह इंसान खुदको कसूरवार समजता है, अपने आप को इतना निराश कर लेता है की जो ख़ुशी आणि वाली भी हो वोह और दूर हो जाती है!

  इसलिए आजकल लोगो के मन में एक दुसरे के लिए नफरत जायदा है , प्यार कम ! लोग एक दुसरे पे लांचन लगते है, मरते पीठ करते है, कोई ख़ुदकुशी कर लेता है! छोटी छोटी बाते भी अक दुसरे की इतनी कडवी लगती है की वोह दोस्ती की दुश्मनी में बदल जाते है! हर तरह , हर जगह सिर्फ और सिर्फ नफरत नज़र आती है !

  ऐसे में क्या किया जाए ? कैसे इस नफरत को शांत किया जाए ? जैसे एक दोस्त से दुसमन बने लोगो को फिर से दोस्त बनाया जाए ? पूजा पाठ करके ? जादू टोना करके ? या फिर इस उम्मीद में ज़िन्दगी गुज़ार दो की कुछ नहीं हो सकता , और न कभी होगा ?


  सुना है दुनिया ख़तम होने वाली है ? २०१२ में !, उस वक़्त का मैंने ऐसे ही स्मरण किया , और मुझे ऐसा दृश्य नज़र आया की जितने दुसमन है दोस्त है वोह एक हो गए , सब के दिल में एक दुसरे के लिए अचानक प्यार उमड़ आया, लोग जिन्होंने ज़िन्दगी में कभी बात न करने की कसम खाई थी वोह अक दुसरे का हाल पूछने लगे , सब ने मिल के दुआ की , जो एक दुसरे को मरना चाहते थे , वोह उनकी लम्भी उम्र की दुआ करने लगे.. सब जगह सिर्फ प्यार ही प्यार नज़र आ रहा था..

  शायद ऐसा ही कुछ होगा जब ऐसी कोई घडी आएगी.. जानते हो क्यूँ वोह एक ऐसा दिन होगा जब हमें पता होगा.. की कल के बाद हम उस इंसान से , दोस्त से या दुसमन से , भाई से बहिन से , माँ , बाप , रिश्तेदार से किसी से भी नहीं मिल पायेगे.. वोह दर्द, प्यार की शकल लेगा...

  कुछ समझे ?

  जी हाँ ! अगर एक दुसरे के दिल में जहाँ पानी है , नफरत मिटानी है थो हमें हर पल ऐसे जीना चाहिए , जैसे ये हमारा आखिरी पल है कल क्या होगा वैसे भी किसी को नहीं पता, कल मिलेंगे या नहीं कोई नहीं जनता ! इसलिए हर पल को ऐसे इससे सुंदर और अच्छा पल कभी नहीं आएगा तुमारी ज़िन्दगी में. सब दोस्त है , सब से प्यार से मिलो, क्या पता तुमरे अच्छे करम तुमरे खाते में जुड़ जाए जब तुम ऊपर जाओ.. और क्या पता तुमारी तरफ से दी हुई ख़ुशी किसी और की ज़िन्दगी में भी खुशियाँ ला दे ! ..

  इसका एक उदहारण बचपन से भी दिया जा सकता है.. जब हम छोटे थे तो लड़ते थे जागते थे पर कुछ ही पल में मान जाते है ! अक ही पल में हर कडवाहट मिटा देते है थे.. बचपन के दिन वापस नहीं आ सकते पर वोह अक आदत वोह साथ ले कर आई जा सटी है ना ?


  "कहते है तुम मुस्कराओ  , दुनिया तुमरे संग मुस्कराएगी !"


लेखिखा
" दिव्या "