Sunday, December 6, 2009
यादें ...
अक्सर युहीं ख्याल आ जाता है , वोह बचपन सुहाना , वोह दोस्तों की मस्ती और उनका याराना ! जैसे जैसे ज़िन्दगी के पड़ाव में आगे बढ़ने लगे वैसे वैसे सुहाने पल यादों में तब्दील होने लगे , मनो कल ही बात थी जब हम साथ बैठ कर बातें किया करते थे , साथ मिलकर खूब सारी मस्ती किया करते थे... वोह बारिश में भीगना , नाव बनाना , स्कूल के रूल तोड़ना , अध्यापिका की डांट खाना, चुप चुप के क्लास में लंच करना... अब तो सब यादें रह गई है और जो पल अब गुज़र रहे है वोह भी कल यादें बन कर रह जाएँगी...
वक्त कितनी जल्दी आगे बढता है ना , ये साल अभी शुरू ही हुआ था मनो और ख़तम भी होने को है...हल पल अपनी मुट्टी में कैद करने को जी चाहता है! हर लम्हों को तस्वीर में कैद करने को जी चाहता है , ताकि कोई भी पल ज़ेहन से निकल न जाए ...
कभी कभी इन खूबसूरत पालो को यादें बनता देखती हूँ तो बहूत डर लगता है , कहीं ये पल रेत की तरह हाथो से सरकते हुए ,हमें अकेला ना छोड़ दे , पलके झपकते ही कही आँखों से ओजल ना हो जाए...
पर लम्हों को यादें बनने से कौन रोक पाया है... बस इसी कोशिश में हूँ की हर पल को सितारों से जगमगा दूँ ताकि जब ये यादें बन कर याद आए तो अपने साथ मुस्कराहट को साथ लाये और मन में नई ताजगी भर जाए...
शुक्रिया दोस्तों मुझे ख़ुद से मिलाने के लिए और मुझे अपना सबसे प्यारा दोस्त बनाने के लिए...
लेखिखा
"दिव्या"
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दिव्या जी,
ReplyDeleteआपने सच्चाई को शब्दों में अच्छा पिरोया,
रत्नेश त्रिपाठी
बीती हुई बातो को याद करो तो यादो का सिलसिला निकल पडता है.
ReplyDeleteअच्छी अभिव्यक्ति प्रदान की है आपने
Divya you are doing such a wonderful job.
ReplyDeleteThanks for posting.