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Sunday, December 6, 2009

यादें ...



अक्सर युहीं ख्याल आ जाता है , वोह बचपन सुहाना , वोह दोस्तों की मस्ती और उनका याराना ! जैसे जैसे ज़िन्दगी के पड़ाव में आगे बढ़ने लगे वैसे वैसे सुहाने पल यादों में तब्दील होने लगे , मनो कल ही बात थी जब हम साथ बैठ कर बातें किया करते थे , साथ मिलकर खूब सारी मस्ती किया करते थे... वोह बारिश में भीगना , नाव बनाना , स्कूल के रूल तोड़ना , अध्यापिका की डांट खाना, चुप चुप के क्लास में लंच करना... अब तो सब यादें रह गई है और जो पल अब गुज़र रहे है वोह भी कल यादें बन कर रह जाएँगी...

वक्त कितनी जल्दी आगे बढता है ना , ये साल अभी शुरू ही हुआ था मनो और ख़तम भी होने को है...हल पल अपनी मुट्टी में कैद करने को जी चाहता है! हर लम्हों को तस्वीर में कैद करने को जी चाहता है , ताकि कोई भी पल ज़ेहन से निकल न जाए ...

कभी कभी इन खूबसूरत पालो को यादें बनता देखती हूँ तो बहूत डर लगता है , कहीं ये पल रेत की तरह हाथो से सरकते हुए ,हमें अकेला ना छोड़ दे , पलके झपकते ही कही आँखों से ओजल ना हो जाए...

पर लम्हों को यादें बनने से कौन रोक पाया है... बस इसी कोशिश में हूँ की हर पल को सितारों से जगमगा दूँ ताकि जब ये यादें बन कर याद आए तो अपने साथ मुस्कराहट को साथ लाये और मन में नई ताजगी भर जाए...

शुक्रिया दोस्तों मुझे ख़ुद से मिलाने के लिए और मुझे अपना सबसे प्यारा दोस्त बनाने के लिए...

लेखिखा
"दिव्या"

Tuesday, November 10, 2009

दिल्ली - हाई फाई हो गई है

आज कल दिल्ली हाई फाई हो गई है, जहाँ एक और महगाई बड़ती जा रही है वहीँ दूसरी तरफ़ कॉम्मन वेअल्थ गेम क चलते आए दिन दिल्ली में नए नए परिवर्तन होते जा रहे है,,,

आज कल दिल्ली का सफर इतना महंगा हो गया की मनो ये दिल्ली नही हो कोई विदेश हो॥ पर महगाई के साथ साथ सर्विस भी अची होनी चाहिए की नही ?? पर सर्विस के नाम पर कुछ नही....

इतने सालो में मैंने महगाई को कभी महसूस नही किया या मुझे कभी परवा नही रही थी पर जब से बसों का किराया बड़ा मनो पहली बार मुझे महगाई का असली महत्व पता चला ॥ दिल्ली सरकार ने डीटीसी के हानि के चलते बसों का किराया बढाया पर ये बात समाज नही आई की उन्होंने प्राइवेट बसों को क्यूँ अनुमति दी बसों का किराया बढाने का ?? ( शायद इसलिए की अगर सिर्फ़ डीटीसी का किराया बढेगा तो कोई उसमे सफर नही करेगा ) पर अपने नुक्सान के चलते दूसरो पर अपना बोझ डालना कहाँ तक फायेदे मंद है ?

दिल्ली में लगभग ४०% से जायदा लोग ऐसे है जो प्राइवेट कंपनियो में काम करते है और उनमे से ३०-३५ प्रतिशत ऐसे लोग है जिनकी मासिक आए केवल ४००० -५००० महिना है॥ और उनकी आदि सेलरी बस के किराये में लग जाती है वोह क्या खायेंगे क्या बचायेंगे ? क्यूँ सरकार ये नही देखती है क्या उनकी आँखों में परदा डाला है या वोह चाहती ही नही है दिल्ली में गरीब लोग भी रहे ???

मुझे याद है जहाँ आज १५ रुपये किराया लगता है वहीँ जब मैं ८ साल की थी तब १ रुपये किराया लगता था ! कितना महगाई हो गई है दिल्ली में ?

मैं बस सरकार से ये कहना चाहती हूँ अगर वोह महगाई बड़ा रही है तो लोगो की मासिक आय को ध्यान में रख कर बदाये । इस तरह महगाई बढाने से लोगो की जीविका चलाने में बहूत गहरे प्रभाव पड़ता है ... सरकार क्या बनाना चाहती है दिल्ली को ?

क्या दिल्ली जैसे शहर में एक आम इंसान रह नही सकता ??
सच में अब तो ऐसा लगता है कुछ सालो में या कुछ महीनो में दिल्ली हाई फाई हो जायेगी ....