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Wednesday, May 23, 2012

Nana ji Ka badbadana / नाना जी का बडबडाना



  याद है वोह बचपन के दिन जब नाना जी हमें घोडा बन कर अपनी पीट पे गुमाते थे , हमे हसते थे , सैर पे ले जातें थे !  कभी सच्ची तो , कभी बनावटी कहानिया सुनाते थे ! हमारे साथ वोह भी बच्चे बन कर नानी को सताते थे !

  वक़्त कितनी रफ़्तार से आगे बढ रहा है की जैसे वोह सारी शेतानियाँ मस्ती कहीं खो सी गई है, और ऐसे ही नाना , नानी जी के चेहरे से वोह हमारे बचपन की ख़ुशी कही खो सी गई है।. 

  जैसे जैसे हमारे बचपन कहीं खो सा गया है वैसे ही उनका वोह बचपन कहीं खो सा गया है।
और बुदापे की परेशानियाँ बच्चो का भविष्य, उनकी ख़ुशी और शादी जैसे मानसिक तनाव
से भर गई है, कुछ चीज़ेऐसी है जो शायद वोह किसी के साथ बाटना नहीं चाहते और खुदसे
ही बात करउसका हल सुल्जाने लगे है  

  अप्रैल की बात है जब मैं अपने परिवार से साथ दक्षिण भारत के गुमने गई थी! नाना जी भी साथ आये थे ! जिस दिन हम दिल्ली से रवाना हो रहे थे उससे अक दिन पहले ही मेरे चचेरे  भाई की किसी के साथ लड़ाई हो गई जिसकी वजह से उसके पीट पे 18 टांके लगे थे. बस वोह बात उनने परेशान किये जा रही थी। दिन में तो सब ठाक  था  पर जैसे जैसे रात हो
 रही थी वैसे वैसे सब तक चुके थे और सफ़र लम्बा ता थो सब सोने की तयारी करने लगे ट्रेन में !

  तब नाना जी सोने की बजाये खिड़की पे बीते अपने आप से बातें करने लगे तब मम्मी की नज़र नानाजी पर पड़ी और वोह उनने देख कर रोने लगी।जैसे ही मैंने मम्मी को देखा थो वोह नाना जी तरफ इशारा करने लगी थो मैंने देखा नाना जी अपने ही आप में बद्बने लगे , हाथो से इशारा कर जैसे कह रहे हो की " कितनी बार कहा ठाट उस लड़के को की ऐसे लडको से दूर रहे , अब ऐसी हालत हो गई है की उठ भी नहीं पा रहा है अब पता नहीं क्या होगा "!

  उनको ऐसे बातें करते देख, मम्मी को उनके लिए परेशां होता देख मेरी भी ऑंखें नम  हो उठी  , लगा की हमारे माँ बाप , नाना नानी , दादा दादी कितने परेशां होते होंगे हमारी उलटी सीडी हरकतों से। 

  पता नहीं कब तक येया लोग हमारे साथ है और जब सब परेशानियों से मुक्त होकर सुकून से
जीना का वक़्त आया तो वोह खुश नहीं है, दुखी है हमरे लिए , हमरे भविष्य को लेके !!

  उन्होंने हमें इतनी खुशिया दी हमारे ख्याल रखा , और हम उने क्या दे रहे है ? आप भी सोचिये जरा आप लोग उनको उनके बराबर थो नहीं पर क्या कोई ख़ुशी दे रहे है ? नहीं थो देने शुरू कीजिये पता नहीं ये पल , ये वक़्त , ये अपनापन कब आपके हाथो से निकल जाए  और आप अफ़सोस करते रह जाए !!!

लेखिखा
"दिव्या"



Friday, February 5, 2010

हमारी माँ को मत बाटों !!!


भारत को आज़ाद हुए साल हो गए पर क्या सही माएने में देश आज़ाद है ? नहीं ! जी हाँ आज भी देश को असामाजिक तत्वों ने अपने जाल में इस कदर जकड रखा है की मासूम लोग भी इसके नापाक इरादों से बच नहीं पाते ! जो सरकार चला रहे है वोह खुद इसके प्रभाव से बच नहीं पाते और न सरकार को खड़ा करने वाले आम लोग... कभी भष्टाचार , तो कभी देश को टुकडो में बांटने वाले जाती धरम के ठेकेदार !

हर कोई यहाँ सिर्फ अपने बनाये नियमो पे चलना चाहता है , चाहता है की सामने वाला व्यक्ति भी उसकी पूजा करे और उसके बताये रस्ते पर चले .. मेरा देश मेरा वतन करने वाले लोग ही सबसे पहले अपने पैर पीछे खींच लेते है जब देश में कोई मुसीबत को आपदा आती है तो ! तब ये कायर लोग सामने क्यूँ नहीं आते ? क्यूँ ?

" सामना " ये ब्लॉग एक ऐसी व्यक्ति की करतूत बयान करता है जो खुद कुछ नहीं कर सकता , कुछ बाला नहीं कर सकता और देश में आये दिन बटवारे जैसे कारको को सामने ला ला कर देश के लोगो के अंदर एक दुसरे के प्रति हीन भावना पैदा करने की पूरी कोशिश कर रहा है...

भारतवर्ष में सबका एक सामान अधिकार है सबको साथ चलने , हर धर्म , भाषा का प्रोग करने का पूर्ण अधिकार है फिर क्यूँ ऐसे लोगो की बातें मुंबई के लोग सुन रहे है ? क्यूँ ? क्या उनके मन में इतना कॉफ़ समां गया है या फिर वोह देश को बातें वाली सोच को सही मानते है ? या फिर वोह ये सोच रहे है की जो हो रहा है होने दो ये कभी रुकने वाला नहीं.. आज ये चुप होगा तो कल कोई और ऐसी आसामाजिक बातें दोहराएगा ?

इन् जनाब की बात को एक तरफ़ा रख दे तो दूसरी तरफ राज्यों को अलग नाम देने की बातें सामने आ रही है जैसे की तेलन्गाना मामला सामने आया फिर उतर प्रदेश को अलग अलग राज्यों में बाटने की बातें !

देश वैसे ही अनेक उल्जनो से जुन्ज रहा है ऊपर से ये आतंरिक मामले सुलाजाने के बदले और बढ रहे है.. अगर देश सारी सुरक्षा देश के अंदर की लगा देगा तो पडोसी राज्यों से हो रहे हमलो की सुरक्षा क्या ये देश को बाटने वाले लोग करेंगे....

जब चल रही होंगी देश में गोलिया बह रहा होगा हर तरफ खून  ही खून तब ये क्या घोड़े बेच कर सो जातें है ? तब क्यूँ नहीं सामने आते ये समाज के ठेकेदार ? क्यूँ? क्यूंकि ये कायर है बस लोगो की भावनाओं के साथ खेलना आता है इनको , चाहे उन् भावनाओं में बह लोग एक दुसरे की जान ही क्यूँ न ले ले इनको कोई फरक नहीं पड़ेगा...

देश में अनेक समस्याए पहले से ही है सबसे बड़ी तो "ग्लोबल वार्मिंग" जिसके लड़ने के लिए पूरा विश्व आगे बढ रहा है , ये ठेकेदार देश को इस समाया से लड़ने की प्रेरणा क्यूँ नहीं देते ? देश में बेरोजगारी बढ रही है फिर ये ठेकेदार लगू उद्यूग या अनय बेरोजगारी को मिलाने वाले सन्देश क्यूँ नहीं देते ? देश में आज भी कोई लोग भूक से भिलाकते रहते है ये ठेकदार उस भूक को मिटने के बारे में क्यूँ नहीं सोचते ? देश में कूड़ा करकट हर तरफ फेल रहा है ये देश में साफ़ सफाई रखने का संदेश क्यूँ नहीं देते ? क्यूंकि ये जानते है बुराई अचाई से पहले प्रभाव डालती है ... फूट डालो और शासन करो बस यही नियम है इनका...जो कभी किसी का भला नहीं सोच सकते ...!!

सरकार को इन लोगो के ब्लॉग को कारिज कर देना चाहिए ताकि ये लोग और कोई ऐसी हरकते या ऐसे संकेत न दे की देश की जनता आपस में लड़  मरे....

ये भारत हमारी माता है हमारी माँ ! जो हमें खिलाती है हमें अपने में संजोये है ? फिर हम अपनी माँ को केसे अलग कर सकते है ? बचा लो अपनी माँ को .. लिखो ब्लॉग अपने देश में पनप रहे ऐसे असामाजिक तत्वों को मिटने के लिए ... छोटी छोटी कोशिश आगे चल कर मुकाम जरुर हासिल करेगी... !

जय हिंद!
लेखिखा
" दिव्या"

Thursday, December 17, 2009

हमारा भाग्य हमारे हाथो में है!

भाग्य - आज शायद बहूत सारे भाग्य को मानते है , अपनी जीवन की हर कड़ी को भाग्य से जोड़ते हुए अपने आने वाले कल का फैसला करते है! आज हर कोई अपने भाग्य से लड़ना चाहता है वोह चाहता है की उसका भाग्य उसका साथ हर जगह दे... परन्तु क्या आप जानते है ? भाग्य क्या है और इसका फैसला कैसे होता है...

मैं यहाँ कुछ ऐसी बातों का वर्णन करने जा राइ हूँ जिस बात से कुछ लोग सहमत होंगे पर कुछ नहीं...

भाग्य शब्द से अभिप्राय है जो कुछ भी बागवान लिखा है बाले ही अच्छा हो या बुरा ! परन्तु मैं यह नहीं मानती, भगवान् ने हमारे भगाया लिखा है  पर वोह हमारे जनम और मरण तक सीमित है. ( मैं यहाँ धर्म से जुडी बातों का वर्णन नहीं कर रही और न ही करना चाहती हूँ मैं एक इन्सान की नजरो से जो महसूस किया है बस उन् बातों का आपके समक्ष रख रही हूँ !

जैसे मैंने ऊपर लिखा है मरण और जीवन भगवान् ने लिखा है परन्तु हम अपने जीवन में कैसा मुकाम पायेंगे ये हमारे हाथों में है... कोई गरीब होता है तो कोई अमीर लेकिन इसका मतलब ये नहीं की गरीब अमीर नहीं बन सकता और अमीर गरीब नहीं... जहाँ तक मैंने सुना और पड़ा ये देखा है ये जाना है वोह ये की आज जितने लोग कामयाब है उनमे से अधिकतर लोग निम्न स्तर से उच्च स्तर की और गए है जो भी जीवन वोह आज जी रहे है वोह उन्होंने खुद अपने लिए अपने अंतर्मन से चुना है!

जब भी हम गलत होते है हाँ भगवान् हमें सही राह दिखाते है पर उस इस्शारे को समझ के अपना और उसको अनदेखा करना इंसान के हित में ही होता है ...

एक कहानी सुनाती हूँ :- ( शायद आपने कभी सुनी होगी !)

एक बार एक गाव में बाद आ जाती है सब लोग नाव की मदद से सुरक्षित स्तान पर जाने लगते है परन्तु एक व्यक्ति नहीं जाता और अपने घर की पहली मंजिल में चढ़ जाता है..जब लोग उसके घर के बहार से नाव की मदद से दूसरी जगह जा रहे होते है तो उसको कहते है - भाई चलो बाढ़  नहीं रुकने वाली - तो वोह कहता है - मैं नहीं जाऊंगा भगवान् बचायेंगे ...( फिर वोह गाव वाले चले जाते है ) ... बाढ़ का पानी और ऊपर बढता है तो वोह व्यक्ति घर की दूसरी मंजिल में चढ़ जाता है - गाव वाले फिर बुलाते है - वोह फिर कहता है मैं नहीं आऊंगा मुझे भगवान् बचायेंगे... ( फिर गाव वाले चले जाते है ) ...बाढ़ का पानी और बढता है और वोह व्यक्ति अपने घर की तीसरी मंजिल में चढ़ जाता है - फिर गाव वाले उसको बुलाते है - वोह फिर मना कर देता है और कहता है भगवान् मुझे बचायेंगे...( गाव वाले फिर चले जाते है ) - बाढ़ का पानी और बढता है और वोह व्यक्ति अपना जीवन खो देता है ---

इस कहानी से मैं ये कहना चाहती हूँ की भगवान् ने उसके जीवन का अंत नहीं लिखा था परन्तु भगवान् के बार बार दिए मौके को अनदेखा कर उसने खुद अपने लिए ऐसा भाग्य चुना जिससे उससे अपनी ज़िन्दगी खो दी...

इसी प्रकार हमारा भाग्य हमारे हाथों में होता है अपने अपनी सूझ भूझ से अपने सामने आने वाले मौके को पहचानना चाहिए और अपने जीवन की  लक्ष्य की और निरंतर बड़ते रहना चाहिए...

हमारा भाग्य हमारे हाथो में है चाहे तो हम इसे बिगाड़ सकते है या तो सवार सकते है...शांत मन हमें अपने भाग्य को सवारने में हमारी मदद करता है है...

क्या कहते है आप ?

लेखिखा 
दिव्या